
There was a philosopher in India in 20th century. He has attacked millions of brilliant minds and made them forced to think about almost everything in their life.
His name was Acharya Rajneesh and we all know him as “Osho”.
He said one thing I like most:
“जिसको भी पाने की तुम दौड़ करोगे, वही ना मिलेगा… अहिंसक होना चाहोगे, अहिंसक ना हो पाओगे। शांत होना चाहोगे, शांत ना हो पाओगे। संन्यासी होना चाहोगे, संन्यासी न हो पाओगे।
जो होना है वह चाह से नहीं होता, चाह से चीजें दूर हटती जाती है। चाह बाधा है।
तुम्हारे पीछे जाने से ही तुम उसे अपने पीछे नहीं आने देते। तुम पीछे जाना बंद कर दो, तुम खड़े हो जाओ और जो तुमने मांगा था वो बरस जाएगा। लेकिन वो बरसता तभी है जब तुम्हारे भीतर भिखारी का पत्र नहीं रह जाता, मांगने वाले का पत्र नहीं रह जाता, जब तुम सम्राट की तरह खड़े होते हो।
इसको ही मैं मालिक होना कहता हुं।”
Moral: तुम सम्राट की तरह खड़े रहना बस, जो तुम्हारा है वो तुम पर बरस जाएगा।।
(Abstain from all type of desires)